एक ज़रूरी लेकिन ग़ैर ज़रूरी चीज़।

                                


                           السلام عليكم

हम अपने आप को मुस्लिम कहते हैं मतलब वो जो अल्लाह की बताई बात पर अपने आपको सुपुर्द कर दिया हो। लेकिन हमारी ज़िन्दगी और हमारा अमल गवाह है कि हम कितने पानी में हैं।

 🔸एक चीज़ है जिसकी बारे में क़यामत (day of judgement) के दिन अल्लाह सबसे पहले आपसे उसी के बारे में पूछेंगे।

🔸एक चीज़ है जो इस्लाम की दूसरी सबसे अहम बुनियाद है। 

🔸एक चीज़ है जिसके बारे में अल्लाह (سبحانه وتعالى) ने सख्त चेतावनी देते हुए फ़रमाया 'और उसे कायम करो और मुशरिकों में से ना हो जाओ'।

🔸एक चीज़ है जिसे नबी (ﷺ) ने कुफ्र और ईमान के बीच फर्क बताया।

🔸एक चीज़ है जिसके बारे में नबी (ﷺ) ने कहा इसे कभी मत छोड़ना।

🔸एक चीज़ है जिसके बारे में नबी (ﷺ) ने फ़रमाया के जिसने इसकी हिफाज़त नहीं की वो रोज-ए-कयामत कारून, फिरौन, हमान और उबई बिंन ख़लफ के साथ होगा।

🔸एक चीज़ है जिसके बारे में हज़रत उमर رضي الله عنه ने कहा कि उस इंसान के अंदर इस्लाम नहीं जो ये काम नहीं करता।

हम अपने से ऊपर औधे वाले को उसकी कही बात पर अमल ना करने पर जवाब नहीं दे पाते तब आप तसव्वुर करिए कि आप अपने खा़लिक़ को नमाज़ ना पढ़ने का क्या बहाना देंगे? जो बहाना आप लोगों को या ख़ुद को देते हैं नमाज़ ना पढ़ने का, क्या आप वो बहाना अपने रब को दे पाएंगे?

आपने नए साल के लिए कोई ना कोई रिजॉल्यूशन तो ज़रूर लिया होगा तो नमाज़ पढ़ने का भी एक रिजॉ़ल्यूशन एैड कर लीजिएगा।

Qur'an [74 : 42-43]

हम क्यों ये समझते हैं कि हम मुसलमान हैं तो हमें डायरेक्ट जन्नत का सर्टिफिकेट मिल गया है। हम दुनिया में किसी चीज़ को पाने के लिए कड़ी मशक्कत करते हैं जबकि वो चीज़ बहुत कम वक़्त तक रहने वाली है। लेकिन हम क्यों ये सोचते हैं के बस जन्नत जो हमेशा रहने वाली है वो हमें बस ऐसे ही मिल जाएगी। अगर ऐसा होता तो अल्लाह के रसूल और उनकी सहाबी इतनी इबादत और कुर्बानियां ना दिए होते। जिस रब ने आपको ज़िन्दगी दी और दिन में 24 घंटे दिए क्या उसकी कही बात पर अमल करने के लिए आप आधा घंटा वक़्त नहीं निकाल सकते? कितना ही टाइम लगता है 5 वक़्त की फ़र्ज़ नमाज़ को वक़्त पर अदा करने के लिए? पांच से दस मिनट! लेकिन हम अपने आपको बेहलाते रहते हैं कि अल्लाह रहमान ओ रहीम है हमें माफ़ कर देगा। हाँ अगर आपको अल्लाह की रहमत को समझना है तो ऐसे समझिए की आप हर दिन हर वक़्त ना जाने उसकी कितनी नाफ़रमानियाँ करते हैं लेकिन फिर भी वो आपको  अपनी तरफ़ लौटने का वक़्त दे रहा है। तो इस वक़्त को ज़ाए मत होने दीजिए।

"Turn to your creator before you return to him."


और अगर मेरी बात सही लगी हो तो दूसरों तक ज़रूर पहुंचाएँ।

जज़ाकल्लाह!


For suggestions and feedback email on : nasirjawed2008@gmail.com

Comments

  1. Very delicate msgs for Muslim youth of today's time...thank you so much for bringing such contents with commanding messages... 💕

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  2. Lots of thanks for dedicated massage. Nasir ,,Allah bless yu.

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